
रूस से जंग झेल रहे यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की अब एक नए मोर्चे पर फंस गए हैं — और ये जंग है करप्शन की! दरअसल, जेलेंस्की की पुरानी कंपनी ‘क्वार्टल 95’ के को-ओनर तैमूर मिंडिच पर 100 मिलियन डॉलर की रिश्वत और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगा है।
अब चाहे आरोप डायरेक्ट जेलेंस्की पर न हों, लेकिन “धुआं वहीं उठता है जहां आग होती है” — ये बात जनता अब खुलकर कह रही है।
तैमूर मिंडिच ने दिया ‘भरोसे’ में धोखा
यूक्रेनी राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (NABU) ने बताया कि मिंडिच ने सरकारी ठेकेदारों से मोटी रिश्वत लेकर फर्जी कंपनियों के नाम पर पैसा घुमाया। करीब 100 मिलियन डॉलर की रकम गायब हो गई और अब जनाब देश छोड़कर भाग निकले हैं!
कहने को तो ये मामला सिर्फ एक सहयोगी का है, लेकिन नाम जुड़ा है राष्ट्रपति की कंपनी से — इसलिए ‘सवालों का बम’ जेलेंस्की पर गिरा है।
जनता का गुस्सा और जेलेंस्की का बचाव
जेलेंस्की के खिलाफ अब जनता का दबाव बढ़ गया है। लोग पूछ रहे हैं — “भ्रष्टाचार खत्म करने का वादा करने वाले खुद किन लोगों पर भरोसा कर बैठे?”
राजनीतिक विश्लेषक फेसेंको ने भी चुटकी लेते हुए कहा — “जेलेंस्की ने भरोसे में गलती की… और अब कीमत चुकानी पड़ रही है।”

भ्रष्टाचार-विरोधी से भ्रष्टाचार के घेरे तक
जब जेलेंस्की सत्ता में आए थे, तब उन्होंने कहा था — “नो करप्शन, नो फैमिली गेम्स।” लेकिन अब लगता है कि भाई-भतीजावाद और भरोसे की राजनीति उन्हीं के लिए सिरदर्द बन गई है। रूस से लड़ाई के बीच ये स्कैंडल उनके लिए किसी ‘डबल फ्रंट वॉर’ से कम नहीं।
अब देखना ये है कि जेलेंस्की अपने पुराने दोस्त और खुद पर लगे सवालों से कैसे निकलते हैं, या फिर ये रिश्वतकांड उनकी “क्लीन इमेज” पर दाग छोड़ देगा।
“हिंदू हूँ या सनातनी?” — धर्म भी हो गया ब्रांड, तो पहचान कौन सी रखी जाए?
